जिसका मन जितना सच्चा होगा उसका जीवन भी उतना ही सच्चा होगा।
जीवन उन्हीं का सच बनता है जो कषायों से मुक्त हो जाते हैं।
मुनि श्री क्षमासागर जी
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उत्तम सत्य का तात्पर्य राग, द्वेष,मोह,लोभ से प्रेरित झूठ वचन का त्याग करना होता है, अथवा आगम वाणी के अनुसार बोलना होता है। अतः मुनि महाराज श्री क्षमासागर जी का कथन सत्य है कि जिसका जीवन जितना सच्चा होगा उसका जीवन भी सच्चा होगा।जीवन उन्ही को सच बनता है जो कषायो से मुक्त होते हैं।अभी तक चार कषायो की चर्चा हुई थी, लेकिन उनके समाप्त पर उत्तम सत्य क़िया है।
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उत्तम सत्य का तात्पर्य राग, द्वेष,मोह,लोभ से प्रेरित झूठ वचन का त्याग करना होता है, अथवा आगम वाणी के अनुसार बोलना होता है। अतः मुनि महाराज श्री क्षमासागर जी का कथन सत्य है कि जिसका जीवन जितना सच्चा होगा उसका जीवन भी सच्चा होगा।जीवन उन्ही को सच बनता है जो कषायो से मुक्त होते हैं।अभी तक चार कषायो की चर्चा हुई थी, लेकिन उनके समाप्त पर उत्तम सत्य क़िया है।