उपयोग का तात्पर्य किसी वस्तु आदि एवं वाणी का होना होता है।उपयोग को तीन भागो में बताया गया है।अशुभपयोग में औदयिक भाव होते हैं, शुभोपयोग में क्षयोपशमिक होता है लेकिन शूद्वोपयोग में श्रेणी बढती रहती है।अतः जीवन में शुद्वोपयोग के भाव होना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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उपयोग का तात्पर्य किसी वस्तु आदि एवं वाणी का होना होता है।उपयोग को तीन भागो में बताया गया है।अशुभपयोग में औदयिक भाव होते हैं, शुभोपयोग में क्षयोपशमिक होता है लेकिन शूद्वोपयोग में श्रेणी बढती रहती है।अतः जीवन में शुद्वोपयोग के भाव होना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।