ऋषि-मंडल विधान में ऋषियों की पूजा तो ठीक है पर इसमें मिथ्यात्व बहुत है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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विधान का अर्थ प़कार या भेद होता है। विधान विभिन्न प्रकार के होते हैं जिसमें जैसे सिद्धचक़ या त्रृषिमंडल आदि होते हैं, इनमें भगवानों की पूजा आदि होती है।
अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि ऋषिमंडल विधान में ॠषियों की पूजा तो ठीक है लेकिन इसमें मिथ्यात्व बहुत होता है।
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विधान का अर्थ प़कार या भेद होता है। विधान विभिन्न प्रकार के होते हैं जिसमें जैसे सिद्धचक़ या त्रृषिमंडल आदि होते हैं, इनमें भगवानों की पूजा आदि होती है।
अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि ऋषिमंडल विधान में ॠषियों की पूजा तो ठीक है लेकिन इसमें मिथ्यात्व बहुत होता है।