कर्ता

मैं कर्ता हूँ –
मन के स्तर पर विचारों का।
वचन के स्तर पर शब्दों का।
काय के स्तर पर कर्मों का।

मुनि श्री मंगल सागर जी

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6 Responses

  1. मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने कर्ता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने मन, वचन, काय का उत्तम कर्ता होना परम आवश्यक है।

    1. मन, वचन, काय तीनों ही तो कवर हो गये, बचा क्या !

  2. Mera matlab hum sirf apne मन, वचन, काय ke respect me ‘कर्ता’ hain ? Apne ko chodkar, aur kisi ke liye nahi ? Yeh clear karenge, please ?

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