ज़िंदगी का Calculations तो बहुत बार किया, पर सुख, दु:ख का Account कभी समझ नहीं आया ।
जब Total निकाला तो कर्मों के सिवाय और कुछ Balance नहीं मिला ।
(मंजू)
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कर्म का तात्पर्य जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,यह उसकी क़िया या कर्म है। उपरोक्त कथन सत्य है कि जिन्दगी का हिसाब तो किया गया है लेकिन सुख दुःख का हिसाब समझ में नहीं आया। यदि इसका टोटल किया जाता तो कर्मों के सिवाय कुछ बेलेंस नहीं मिला है। अतः जीवन में कर्मों का हिसाब रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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कर्म का तात्पर्य जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,यह उसकी क़िया या कर्म है। उपरोक्त कथन सत्य है कि जिन्दगी का हिसाब तो किया गया है लेकिन सुख दुःख का हिसाब समझ में नहीं आया। यदि इसका टोटल किया जाता तो कर्मों के सिवाय कुछ बेलेंस नहीं मिला है। अतः जीवन में कर्मों का हिसाब रखना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।