कर्म-फल
यह दो प्रकार का है –
1. बाह्य – जो दिखता भी है – वैभव के रूप में।
2. अंतरंग – जो दिखता नहीं, पर अंतरंग वैभव प्रदान करता है; सातिशय/सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि।
इसे कैसे प्राप्त करें ?
धार्मिक अनुष्ठानों को अहोभावों से करके।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
3 Responses
“अहोभाव” ka kya meaning hai, please ?
अपने को भाग्यशाली मान कर/ उत्साह के साथ ।
Okay.