कल्याणी
कल्याण की अपेक्षा, व्यक्तियों के 4 भेद होते हैं –
1. स्व-कल्याणी : जो सिर्फ अपने कल्याण की ही सोचते हैं।
2. पर-कल्याणी : जो सिर्फ दूसरों के कल्याण की ही सोचते हैं।
3. पर-स्व-कल्याणी : जो सिर्फ दूसरों के कल्याण में अपना कल्याण मानते हैं।
4. स्व-पर-कल्याणी : जो अपना कल्याण करके फिर दूसरों का कल्याण करते हैं जैसे भगवान महावीर ।
चिंतन
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कल्याण का मतलब जीवन का भला करना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि कल्याण के चार भेद बताए गए हैं। स्वयं कल्याणी यानी अपना कल्याण करता है,पर कल्याणी यानी दूसरों के कल्याण की बात करता है,पर स्वयं कल्याणी वह होता है कि दूसरों के कल्याण को अपना मानता है। सबसे महत्वपूर्ण वह है जो अपना कल्याण करके दूसरो का कल्याण करता है,वह भगवान् श्री महावीर स्वामी है।आज उनके उपदेश को स्वीकार करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।