भक्त… प्रभु ! बस मेरी एक करोड़ रुपए की लौटरी निकलवा दो ।
प्रभु… टिकट का नम्बर बता !
भक्त…टिकट तो खरीदी नहीं है ।
प्रभु…😯
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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कृपा का मतलब किसी की मेहरबानी होना होता है जबकि पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़त्यन करना है।
मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी का कथन सत्य है कि कृपा से समस्या हल नहीं होती है बल्कि पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः जीवन में किसी भी क्षेत्र में कार्य करना है तो पुरुषार्थ करना चाहिए।
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कृपा का मतलब किसी की मेहरबानी होना होता है जबकि पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़त्यन करना है।
मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी का कथन सत्य है कि कृपा से समस्या हल नहीं होती है बल्कि पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः जीवन में किसी भी क्षेत्र में कार्य करना है तो पुरुषार्थ करना चाहिए।