क्रोध के 4 प्रकार(शक्ति की अपेक्षा)….
1. तीव्रतर…पत्थर की रेखा, नरक गति/आयु, इन पर उपदेश काम नहीं करते।
2. तीव्र….पृथ्वी की रेखा, तिर्यंच आयु।
3. मंद….धूल की रेखा, मनुष्य आयु।
4. मंदतर…जल की रेखा, देव आयु।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-गाथा- 284)
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4 Responses
मुनि महाराज जी ने क़ोध के प़कार एवं परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना है तो क़ोध पर नियंत्रण करना परम आवश्यक है।
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मुनि महाराज जी ने क़ोध के प़कार एवं परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना है तो क़ोध पर नियंत्रण करना परम आवश्यक है।
Yeh classification kya baaki 4 ‘कषायों’ me apply nahi hogi ?
अन्य कषायों के अलग-अलग example दिये गये हैं।
मान के लिए लकड़ी/ हड्डी आदि।
Okay.