क्षमावाणी दिवस
- कल पर्युषण पर्व चला गया ।
पर क्या सचमुच पर्व चला गया ?
जाता वही है जो पहले कभी आया हो ।
पर क्या पर्युषण पहले हमारे अंदर कभी आया था !
पहचान ?
यदि हमारे जीवन में बुराईयाँ कम हुई हों, गुण बढ़े हों, तो हमारे जीवन में वह पर्व आया था ।
- पर्युषण से पहले और बाद में क्षमा दिवस मनाते हैं ।
पूर्व की क्षमा इसलिये ताकि हमारे जीवन में नरमी/आद्रता आये ,धर्म का अंकुर पनप सके ,
बाद की क्षमा इसलिये ताकि धर्म हमारे जीवन में टिक सके, आद्रता बनी रह सके ।
- क्या हमारे जीवन में क्षमा आयी है ?
- पहचान ?
यदि हमारे दुश्मन कम हुये हैं और मित्र बढ़े हैं तो क्षमा हमारे जीवन में आयी है ।
हम सब संसार के सब जीवों से क्षमा भाव रखें और वे सब जीव हमें क्षमा करें ।