क्षमावाणी

अगर पर्युषण पर्व पर इस कविता को यथार्थ में समझ लिया जाये तो ये पर्व मनाना निस्संदेह सफल हो जायेगा:—
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
छोटी बात को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी ,
फिर माफ़ करने का साहस दिखाएगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
मूँद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें….
तो कल इस बात पर फिर पछताएगा कौन ?
क्षमायाचना के साथ।

(डॉ.पी.ऐन.जैन)

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2 Responses

  1. डाक्टर पी एन जैन जी के द्वारा क्षमावाणी को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में क्षमा करने एवं क्षमा मागने के भाव हमेशा रहना परम आवश्यक है, ताकि जीवन में प़ेम एवं सद्बभाव रहने का प़यास करना परम आवश्यक है। आज कमसे कम जिसके साथ बैर या गांठ बनी हो उससे क्षमा अवश्य मांगना चाहिए।

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