गर्भ में बच्चा सुनता नहीं, पर संस्कारित होता है ।
(जैसे पेड़/पौधों की Growth)
तथा माँ के संस्कार भोजन के द्वारा पहुँचते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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गर्भ- -माता के उदर में रज और वीर्य के परस्पर मिश्रण में जीव के आने को कहते हैं। जैन धर्म में गर्भ संस्कार का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः उक्त कथन सत्य है कि गर्भ में बच्चा सुनता नहीं है लेकिन संस्कारित होता है। जैसे पेड़ पोधो में growth होती रहती है। इसी प्रकार मां के संस्कार भोजन के द्वारा पहुंचते हैं। इसके साथ माता हमेशा धर्म की क़ियायो से भी संस्कार करना भी जरूरी रहता है।
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गर्भ- -माता के उदर में रज और वीर्य के परस्पर मिश्रण में जीव के आने को कहते हैं। जैन धर्म में गर्भ संस्कार का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः उक्त कथन सत्य है कि गर्भ में बच्चा सुनता नहीं है लेकिन संस्कारित होता है। जैसे पेड़ पोधो में growth होती रहती है। इसी प्रकार मां के संस्कार भोजन के द्वारा पहुंचते हैं। इसके साथ माता हमेशा धर्म की क़ियायो से भी संस्कार करना भी जरूरी रहता है।