गुण / अवगुण
जग प्रशंसा करे तो गुण, ख़ुद को बताना पड़े तो अवगुण ।
अवगुणीं तुम्हारे गुणों को स्वीकार नहीं कर पायेंगे;
गुणीं पचा नहीं पायेंगे ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
जग प्रशंसा करे तो गुण, ख़ुद को बताना पड़े तो अवगुण ।
अवगुणीं तुम्हारे गुणों को स्वीकार नहीं कर पायेंगे;
गुणीं पचा नहीं पायेंगे ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
गुण और अवगुण हर प्राणी मात्र में रहता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जब प़शांसा करे तो गुण और खुद को बताना पड़े तो अवगुण होता है,अवगुणी तुम्हारे गुणों को मान नहीं पायेंगे , गुणी पचा नहीं सकते हैं।
अतः जीवन में अपने गुणों का बखान नहीं करना चाहिए, बल्कि दूसरों के अवगुणों में गुणों की तलाश करते रहना ।