एक इन्द्रिय जल से भी वह गुण ग्रहण कर सकते हैं जो हममें भी नहीं हैं ।
जल भगवान के शरीर को स्पर्श करके गंधोदक बन जाता है, हम तो वर्षों से स्पर्श कर रहे हैं, फिर भी वैसे के वैसे ही !
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
One Response
द़व्यो में कुछ गुण साधारण या सामान्य होते हैं, ज्ञान, दर्शन आदि विशेष गुण है, रुप,रस, स्पर्श आदि पुदगल के होते हैं । अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि एक इन्दिय से भी गुण कर सकते हैं, जो हम यानी मनुष्य में नहीं है। जैसे जल भगवान् के स्पर्श करके गंधोदक बन जाता है, लेकिन हम लोग वर्षों से भगवान् को स्पर्श करते रहते हैं, लेकिन कोई परिवर्तन नहीं होता है। अतः जब तक भगवान् के गुणों को ग़हण नहीं करते हैं,तब तक हम लोगों का उद्धार होना मुश्किल रहेगा।
One Response
द़व्यो में कुछ गुण साधारण या सामान्य होते हैं, ज्ञान, दर्शन आदि विशेष गुण है, रुप,रस, स्पर्श आदि पुदगल के होते हैं । अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि एक इन्दिय से भी गुण कर सकते हैं, जो हम यानी मनुष्य में नहीं है। जैसे जल भगवान् के स्पर्श करके गंधोदक बन जाता है, लेकिन हम लोग वर्षों से भगवान् को स्पर्श करते रहते हैं, लेकिन कोई परिवर्तन नहीं होता है। अतः जब तक भगवान् के गुणों को ग़हण नहीं करते हैं,तब तक हम लोगों का उद्धार होना मुश्किल रहेगा।