गुरु
“गुरो: सर्वत्र अनुकूलवृत्तिः”
(यानि गुरु जो कहते/चाहते हैं, वह सब मेरे अनुकूल/भले के लिये है)
इसका हमेशा पालन अनिवार्य है। इसको विनय कहते हैं, इसके बिना मोक्ष का द्वार बंद।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
“गुरो: सर्वत्र अनुकूलवृत्तिः”
(यानि गुरु जो कहते/चाहते हैं, वह सब मेरे अनुकूल/भले के लिये है)
इसका हमेशा पालन अनिवार्य है। इसको विनय कहते हैं, इसके बिना मोक्ष का द्वार बंद।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने गुरु की परिभाषा देकर उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! अतः गुरु की विनय करना चाहिए ताकि मोक्ष का मार्ग प़शस्त बन सकता है! जो गुरु का विनय नहीं करते हैं उन्हें मोक्ष कभी नहीं मिल सकता है!