गुरु / भगवान

गुरु/भगवान के दरबार में “द” शब्द वाली वस्तु “स” शब्द में बहुत ही जल्दी बदलती है..
जैसे दुःख बदल जाता है, सुख में;
दुविधा बदल जाती है, सुविधा में;
दुर्गुण बदल जाते हैं, सद्‍गुण में;
दुर्बलता बदल जाती है, सबलता में;
दरिद्रता बदल जाती है, संपन्नता में;
दुर्विचार बदल जाते हैं, सद्विचार में;
दुर्व्यवहार बदल जाता है, सद्व्यवहार में;
दुष्परिणाम बदल जाते हैं, सद्परिणाम में;
दुराचार बदल जाता है, सदाचार में;
दाग बदल जाते हैं, साख में;
दुर्भावना बदल जाती है, सद्भावना में ।

(धर्मेंद्र)

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