गुरु/भगवान की शक्त्ति
कौरवों के हारने का महत्त्वपूर्ण कारण – जो ब्रम्हास्त्र कर्ण ने मुख्य योद्धा अर्जुन के लिये रखा था, उसे घटोत्कच पर प्रयोग करने में बर्बाद कर दिया।
यदि हम भी गुरु/भगवान की महान शक्त्तियों को छोटी-छोटी समस्याओं में प्रयोग कर लेंगे तो बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान कौन करेगा !
मुनि श्री सुधासागर जी
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भक्ति का तात्पर्य अर्हन्त आदि के गुणों में अनुराग रखना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि कौरवों ने भगवान एवं गुरुओं की भक्ति की शक्ति नहीं समझी थी इस कारण उनको पराजित होना पड़ा था, जबकि अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति एवं शक्ति पर विश्वास किया गया है, इसलिए वह विजय प्राप्त की गई थी। अतः जीवन में भगवान एवं गुरुओं पर श्रद्वान होना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।