गौरव
स्कूल में एक लड़का बहुत शैतान था, फेल होता रहता था। उसके दादाजी को बुलाया गया। वे उसे लेकर अपनी खानदानी हवेली दिखाने ले गये। पूर्वजों का गौरव बताया। 12 वीं कक्षा में उस बच्चे के 78% नम्बर आये।
एकता – पुणे (संस्मरण)
यदि हम अपने भगवानों के गौरव को याद करें कि हम किनके वंशज हैं तो क्या हम घटिया काम कर पायेंगे !
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गौरव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में हर व्यक्ति को गौरव वाले स्थान एवं गौरव जहाँ मिलता है, उस जगह देखना या मिलना परम आवश्यक है ताकि अपने जीवन को गौरवशाली बनाने में समर्थ हो सकते हैं।