ग्रंथ

मूल ग्रंथकर्ता – तीर्थंकर(गंगा, वीर हिमाचल से निकसी)।
उत्तर ग्रंथकर्ता – गणधर/श्रुतकेवली।
उत्तरोत्तर ग्रंथकर्ता – आचार्यजन।
गंगा गणधर के कुंड में गिरी, आज बूंद के रूप में, पर पवित्रता उतनी ही।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि गंगा वीर हिमाचल से निकलती है,इसी प्रकार मूलग्रंथकर्ता एवं तीर्थंकर होते है। लिखने वाले गणधर एवं क्षुतकेवली होते हैं, जबकि आचार्य जन ही उत्तर देते हैं। अतः गंगा गणधर के कुंड में गिरी है,आज उसकी एक बूंद काम आती है,इसी प्रकार ग़थ की बूंद भी जीवन का कल्याण करने में समर्थ होती है।

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