जिसने अपने बाल स्वंय नहीं उखाड़े, उसके बालों को दूसरे उखाड़ेंगे ।
इस जन्म में मुनि नहीं बने/बनने के भाव नहीं रखे,
तो अगले भव में त्रियंच बन/हाथ पैर बंधवाकर दूसरे बाल उखाड़ेंगे ।
ब्र. सुमति – खनियाधाना
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चारित्र धारण के लिए पांच महावत, पांच समिति और तीन गुप्ति रुप का पालन करना आवश्यक होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि चारित्र न धारण करने वाले बाल स्वयं नहीं उखाड़ें तो दुसरे उनके बाल उखाड़ेंगे। अतः जीवन में मुनि नहीं बने या भाव नहीं रखे,तो अगले भव में त्रियंच बन,हाथ पैर बंधावाकर दूसरे बाल उखाड़ेंगे। अतः चारित्र धारण करने वाले मुनि अपने हाथ से ही केंशलोंच करते ही हैं।
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चारित्र धारण के लिए पांच महावत, पांच समिति और तीन गुप्ति रुप का पालन करना आवश्यक होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि चारित्र न धारण करने वाले बाल स्वयं नहीं उखाड़ें तो दुसरे उनके बाल उखाड़ेंगे। अतः जीवन में मुनि नहीं बने या भाव नहीं रखे,तो अगले भव में त्रियंच बन,हाथ पैर बंधावाकर दूसरे बाल उखाड़ेंगे। अतः चारित्र धारण करने वाले मुनि अपने हाथ से ही केंशलोंच करते ही हैं।