चिंता घुन है, चिंतन धुन ।
चिंता के आगे चिंतन शुरु होता है ।
चिंता दीवार है, चिंतन द्वार ।
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यह कथन बिलकुल सही है – – –
चिंता तो हर मनुष्य करता है लेकिन, चिंता के उपरान्त, उस पर चिंतन करना चाहिए, जिससे आपका समाधान हो सके ।चिंतन के लिए, ज्ञान होना आवश्यक है; तभी आप सही निर्णय पर पहुँच सकते हैं ।यदि आप चिंता करते रहेंगे, तो जीवन असफल हो जायेगा ।
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यह कथन बिलकुल सही है – – –
चिंता तो हर मनुष्य करता है लेकिन, चिंता के उपरान्त, उस पर चिंतन करना चाहिए, जिससे आपका समाधान हो सके ।चिंतन के लिए, ज्ञान होना आवश्यक है; तभी आप सही निर्णय पर पहुँच सकते हैं ।यदि आप चिंता करते रहेंगे, तो जीवन असफल हो जायेगा ।