उंगली उठे तो बेइज्ज़ती👉🏼
अंगूठा उठे तो तारीफ़ 👍🏻
और
अंगूठे से उंगली मिले तो लाज़बाव👌🏽
यही तो है ज़िंदगी का हिसाब ।
(विश्वकर्मा)
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जि़न्दगी का हिसाब में ज़रा सी बात के कारण मतलब बदलता रहता है।जैसे उंगली उठे तो बेइज्ज़ती महसूस होने लगती है लेकिन अंगूठा उठता है तो तारीफ महसूस होती है। अंगूठे से उंगली मिल जाती है तो लाज़बाब हो जाता है।
जीवन में चारित्र रहना चाहिए ताकि जीवन लाज़बाब रह सकता है।
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जि़न्दगी का हिसाब में ज़रा सी बात के कारण मतलब बदलता रहता है।जैसे उंगली उठे तो बेइज्ज़ती महसूस होने लगती है लेकिन अंगूठा उठता है तो तारीफ महसूस होती है। अंगूठे से उंगली मिल जाती है तो लाज़बाब हो जाता है।
जीवन में चारित्र रहना चाहिए ताकि जीवन लाज़बाब रह सकता है।