जीवन मरण सिक्के के दो पहलू हैं।
एक जितना बड़ा/ मूल्यवान होगा, दूसरा भी उतना ही (जैसे साधुजन/ भगवान का)।
“सौफी का संसार” (जॉस्टिन गार्डर)
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जीवन एवं मरण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जीवन एवं मरण के बीच में कुछ अच्छा कार्य करना चाहिए ताकि आपको याद किया जाता रहे।
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जीवन एवं मरण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जीवन एवं मरण के बीच में कुछ अच्छा कार्य करना चाहिए ताकि आपको याद किया जाता रहे।
Can meaning of the post be explained a little more in detail, please ?
मरण और जन्म दोनों पेअर हैं, मरण होगा तभी तो जन्म होगा। इस अपेक्षा से मरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जन्म।
Bracket me jo example diya hai, use aur clear karenge, please ?
साधुजन और भगवान का जीवन मूल्यवान सो उनका मरण भी महोत्सव।
Okay.