जीवन / मरण

जीवन मरण सिक्के के दो पहलू हैं।
एक जितना बड़ा/ मूल्यवान होगा, दूसरा भी उतना ही (जैसे साधुजन/ भगवान का)।

“सौफी का संसार” (जॉस्टिन गार्डर)

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6 Responses

  1. जीवन एवं मरण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जीवन एवं मरण के बीच में कुछ अच्छा कार्य करना चाहिए ताकि आपको याद किया जाता रहे।

    1. मरण और जन्म दोनों पेअर हैं, मरण होगा तभी तो जन्म होगा। इस अपेक्षा से मरण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जन्म।

    1. साधुजन और भगवान का जीवन मूल्यवान सो उनका मरण भी महोत्सव।

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