जीने की बात आती है तो पहले ख़ुद जीने को कहा, फिर दूसरों को (जियो और जीने दो) ।
मरने के विषय में ख़ुद को नित्य तीन बार शरीर को जलाया जाता है (ध्यान में) पर दूसरों के शरीर को चिंगारी छुलाने की कल्पना भी नहीं की जाती।
चिंतन
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जैन दर्शन का मतलब जिसके द्वारा जीवन का और जीवन के विकास का ज्ञान प्राप्त किया जाए। इसमें प़तेक आत्मा अपने आत्म पुरुषार्थ से परमात्मा बन सकते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जैन दर्शन में जियो और जीने दो का सिद्धांत है। ध्यान द्वारा अपने शरीर को तप द्वारा जलाया जाता है, लेकिन किसी को भी जलानें का प्रयास नहीं किया जाता है। अतः जीवन में स्वयं जियो और दूसरों को जीने दो।
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जैन दर्शन का मतलब जिसके द्वारा जीवन का और जीवन के विकास का ज्ञान प्राप्त किया जाए। इसमें प़तेक आत्मा अपने आत्म पुरुषार्थ से परमात्मा बन सकते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जैन दर्शन में जियो और जीने दो का सिद्धांत है। ध्यान द्वारा अपने शरीर को तप द्वारा जलाया जाता है, लेकिन किसी को भी जलानें का प्रयास नहीं किया जाता है। अतः जीवन में स्वयं जियो और दूसरों को जीने दो।