ज्ञाता-द्रष्टा
एक किसान रोजाना अपनी पत्नी को पीटता था,
गुरू ने कहा – ज्ञाताद्रष्टा बन जाओ,
इस तरकीब से किसान पत्नी को पीट नहीं पाता था ।
किसान परेशान रहने लगा और एक दिन उसने तरकीब लगाई कि हल में एक बैल को तो एक तरफ़ से लगाया और दूसरे को दूसरी तरफ़ लगा कर खेत जोतने लगा ।
पत्नी ने देखा और ज्ञाता-द्रष्टा का मंत्र याद कर कुछ नहीं बोली और किसान उसकी पिटाई नहीं कर पाया ।
यदि ज्ञाता-द्रष्टा बनें तो कर्म हमारी पिटाई नहीं कर पायेंगे ।
पं. रतनलाल जी -इन्दौर