सम्यक्-ज्ञान ही प्रमाण होते हैं ।
मति, श्रुत, अवधि. मन:पर्यय, केवल-ज्ञान श्रुतानुसार (शास्त्रानुसार) ही होते हैं ।
सुश्रुत और कुश्रुत दोनों ज्ञान शब्द रूप हैं ।
केवल-ज्ञान को स्वार्थ-ज्ञान भी कहते हैं क्योंकि यह केवल-स्व-अर्थ जानता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागार जी
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ज्ञान कई प्रकार के होते हैं, साधारण,सम्यग्क ज्ञान, और केवल ज्ञान। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्यक ज्ञान ही प़माण होते हैं। जबकि मति, श्रुत, अवधि, मन पर्याय,केवल ज्ञान,यह सब शास्त्रों अनुसार होते हैं। जबकि केवल ज्ञान स्व अर्थ जानता है । अतः जीवन का लक्ष्य केवल ज्ञान ही होता है।
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ज्ञान कई प्रकार के होते हैं, साधारण,सम्यग्क ज्ञान, और केवल ज्ञान। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्यक ज्ञान ही प़माण होते हैं। जबकि मति, श्रुत, अवधि, मन पर्याय,केवल ज्ञान,यह सब शास्त्रों अनुसार होते हैं। जबकि केवल ज्ञान स्व अर्थ जानता है । अतः जीवन का लक्ष्य केवल ज्ञान ही होता है।