ज्ञान/चारित्र
ज्ञान के बिना चारित्र भार है जैसे प्राण-रक्षक दवा भी बिना ज्ञान के प्राण-घातक बन जाती है तथा बिना प्राण के इंद्रियाँ ।
श्री पुरुषार्थसिद्धिउपाय – 23
ज्ञान के बिना चारित्र भार है जैसे प्राण-रक्षक दवा भी बिना ज्ञान के प्राण-घातक बन जाती है तथा बिना प्राण के इंद्रियाँ ।
श्री पुरुषार्थसिद्धिउपाय – 23