ज्ञानी
कितनी भी मुसीबतें आयें, ज्ञानी कभी विचलित नहीं होते।
सूरज का ताप कितना भी प्रचंड हो समुद्र कभी सूखता नहीं/ कम भी नहीं होता।
(हितेष भाई – वडोदरा)
कितनी भी मुसीबतें आयें, ज्ञानी कभी विचलित नहीं होते।
सूरज का ताप कितना भी प्रचंड हो समुद्र कभी सूखता नहीं/ कम भी नहीं होता।
(हितेष भाई – वडोदरा)
2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि कितनी भी मुसीबतें आवें, ज्ञानी कभी विचलित नहीं होता है! सूरज का ताप कितना भी प़चंड हो लेकिन समुद्र कभी सूखता नहीं एवं कम भी नहीं होता है! ज्ञानी कभी विचलित एवं दुखी नहीं रहता है, अज्ञानी जीव कभी भी अपना कल्याण नही कर सकता है!
ज्ञानी तो यह जानता,
समय मुसीबत अल्प।
चली जायेंगी आप ही,
पालें नहीं विकल्प।।