जब भी किसी को टोकना पड़े तो कषाय होगी ही, पहली बार संज्वलन हो सकती है पर बहस बढ़ने से प्रत्याख्यानादि और बहस बढ़कर चौथे round में पहुंची तो अनंतानुबंधी होने की संभावना पूरी ।
चिंतन
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यह कथन सत्य है कि जब किसी को टोकना पड़ता है तो वह कषाय का रुप लेती है ।पहली बार टोकने में संज्जलन हो सकती है पर बहस बढने पर चौथे round मे पहुच कर अनंतानुबंधी होने की संम्भावना होती है।अनन्ताबंधी में कषाय अनन्त संसार के कारण भूत मिथ्यात्व को बांधती है अतः इस कषाय में सम्यकदर्शन उत्पन्न नही होता है,यह क़ोध, मान, माया और लोभ, चार रुपो में होती है।अतः किसी को टोकना नहीं चाहिए क्योंकि यह कषाय का रुप बन जाता है।
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यह कथन सत्य है कि जब किसी को टोकना पड़ता है तो वह कषाय का रुप लेती है ।पहली बार टोकने में संज्जलन हो सकती है पर बहस बढने पर चौथे round मे पहुच कर अनंतानुबंधी होने की संम्भावना होती है।अनन्ताबंधी में कषाय अनन्त संसार के कारण भूत मिथ्यात्व को बांधती है अतः इस कषाय में सम्यकदर्शन उत्पन्न नही होता है,यह क़ोध, मान, माया और लोभ, चार रुपो में होती है।अतः किसी को टोकना नहीं चाहिए क्योंकि यह कषाय का रुप बन जाता है।