“टंकोत्कीर्ण” शब्द का प्रयोग आत्मा की शुद्ध अवस्था के लिये आचार्य श्री अमृतचंद्र सूरी जी ने किया है, अन्य किसी आचार्य ने इसका प्रयोग नहीं किया है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि टंकोत्कीर्ण शब्द का प्रयोग आत्मा की शुद्ध अवस्था होती है। लेकिन यह सिर्फ आचार्य श्री अमृतचंद सूरी ने ही किया गया है जबकि अन्य आचार्यों ने इसका प्रयोग नहीं किया गया है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि टंकोत्कीर्ण शब्द का प्रयोग आत्मा की शुद्ध अवस्था होती है। लेकिन यह सिर्फ आचार्य श्री अमृतचंद सूरी ने ही किया गया है जबकि अन्य आचार्यों ने इसका प्रयोग नहीं किया गया है।
“टंकोत्कीर्ण” शब्द ka meaning kya hai , please ?