भगवान के जन्मोत्सव में इन्द्र के द्वारा तांडवनृत्य विकराल नहीं होता बल्कि देखने वालों का रोम-रोम नृत्य करने लगता है, इस अपेक्षा से तांडव कहा है (जो रोम-रोम हिला दे)।
आदि पुराण में इसे आनंद-नृत्य कहा है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का तांडव नृत्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का तांडव नृत्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!