तिर्यंच—पाप कर्म के उदय से जो तिरोभाव को प्राप्त होते हैं वे तिर्यंच हैं। यह कथन सत्य है कि तिर्यंचो के बिना प़तिमा लिए पांचवां गुणस्थान हो सकता है। Reply
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तिर्यंच—पाप कर्म के उदय से जो तिरोभाव को प्राप्त होते हैं वे तिर्यंच हैं।
यह कथन सत्य है कि तिर्यंचो के बिना प़तिमा लिए पांचवां गुणस्थान हो सकता है।