दर्शन में विकल्प नहीं क्योंकि यह सामान्य आभास है (इसमें सम्यक्त्व/ मिथ्यात्व नहीं)।
ज्ञान में विकल्प है (सम्यक्त्व/ मिथ्यात्व भी है)।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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4 Responses
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने दर्शन एवं ज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में ज्ञान में मिथ्यात्व से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने दर्शन एवं ज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में ज्ञान में मिथ्यात्व से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Par darshan me to ‘samyak’ aur ‘mithyatva’ lagate hain na ?
यहाँ पर दर्शन, देखने वाला लेना है/ प्रथम आभास।
Okay.