दान/भोग/नाश
केला खाने के बाद छिलका गाय को, तो दानी ।
कचरे में, तो भोगी ।
सड़क पर, तो नाशी ।
कम से कम छिलके का तो सदुपयोग कर लो ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
केला खाने के बाद छिलका गाय को, तो दानी ।
कचरे में, तो भोगी ।
सड़क पर, तो नाशी ।
कम से कम छिलके का तो सदुपयोग कर लो ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
2 Responses
Very true.
Agar hum daani nahin ban sakte, to kam se kam naashi bhi na bane aur kele ke chilke ko kachre ke dabbe mein dale.
HariOm