आगमानुसार दिव्यध्वनि मुख से ही खिरती है,
सर्वांग से नहीं जैसा पूजादि में लिखा है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
दिव्यध्वनि का तात्पर्य…. केवल ज्ञान होते ही अर्ह्रन्त भगवान् के मुख से सब जीवों का कल्याण करने वाली ओंकार रुप वाणी खिरती है, यह सर्वभाषाऔं में होती है। अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि आगमानुसार दिव्यध्वनि मुख से खिरती है,सर्वांग से नहीं,जैसा पूजादि में लिखा है। उक्त वाणी सभी जीवों के कल्याणकारी होती है, अतः इस पर श्रद्वान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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दिव्यध्वनि का तात्पर्य…. केवल ज्ञान होते ही अर्ह्रन्त भगवान् के मुख से सब जीवों का कल्याण करने वाली ओंकार रुप वाणी खिरती है, यह सर्वभाषाऔं में होती है। अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि आगमानुसार दिव्यध्वनि मुख से खिरती है,सर्वांग से नहीं,जैसा पूजादि में लिखा है। उक्त वाणी सभी जीवों के कल्याणकारी होती है, अतः इस पर श्रद्वान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
To phir, puja me kis apeksha se ‘सर्वांग’ diya hai ?
जब भगवान के होंठ हिलते नहीं दिखते पर ध्वनि सुनाई देती है तो सामान्यजन क्या कहेगा !
Okay.