दुःख में ज्यादा दुखी होंगे तो दु:ख ज्यादा होंगे।
दुःख में कम दुखी होगे तो दु:ख कम होंगे।
जैसे शरीर पर से साँप निकलना दुःख का कारण। यदि चीख पुकार की तो साँप डस लेगा, दुःख बहुत ज्यादा। शांति से भगवान का नाम लेते रहे तो दुःख कम।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दुख मे ज्यादा दुःखी होगें, दुखों में कम दुखी होगें तो दुख जरुर कम होगें! अतः जीवन में दुखी होने पर भगवान एवं गुरुओं में आस्था व समपर्ण होगें तभी जीवन का कल्याण हो सकता है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दुख मे ज्यादा दुःखी होगें, दुखों में कम दुखी होगें तो दुख जरुर कम होगें! अतः जीवन में दुखी होने पर भगवान एवं गुरुओं में आस्था व समपर्ण होगें तभी जीवन का कल्याण हो सकता है!