जिसको भी अपना बनाता हूँ, वह छोड़कर चला जाता है ।
दु:ख को अपना बना लो !
(आर.के.गुप्ता)
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2 Responses
जीवन में दुःख तो आते रहते हैं, लेकिन दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि दुःख को मिटाने के लिए, धर्म से जुड़ना चाहिए; तभी अपना कल्याण कर सकेंगे ।धर्म से ही, दुःख सहने की शक्ति मिलती है ।
Sacchi, kabhi kabhi lagata hai ki “dukh” se zyaada apna is duniya mein koi nahin; also “naarkiyon” aur “tiryanch” ke comparison mein “manushya” , kabhi sacche dukh ka abhaas nahin kar sakte.
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जीवन में दुःख तो आते रहते हैं, लेकिन दुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि दुःख को मिटाने के लिए, धर्म से जुड़ना चाहिए; तभी अपना कल्याण कर सकेंगे ।धर्म से ही, दुःख सहने की शक्ति मिलती है ।
Sacchi, kabhi kabhi lagata hai ki “dukh” se zyaada apna is duniya mein koi nahin; also “naarkiyon” aur “tiryanch” ke comparison mein “manushya” , kabhi sacche dukh ka abhaas nahin kar sakte.