भगवान को कभी देखा नहीं फिर भी वे दु:ख में क्यों याद आते हैं ?
जिससे जितना पुराना और नज़दीकी रिश्ता होता है, वह उतना ही ज्यादा याद आता है ।
भगवान से हमारा जन्म-जन्मांतरों का रिश्ता है/ वे हमारे रग-रग में बसे हैं/ मैं खुद भगवन-आत्मा बन सकता हूँँ ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् को देखा नहीं है लेकिन फिर भी दुखों में याद आते हैं,इसका कारण– जिससे जितना पुराना और नजदीकी रिश्ता होता है वह उतना ही याद आता रहता है। भगवान् से हमारा जन्मांतरों का रिश्ता होता है और वे हमारे रग रग में बसे हैं, अतः मैं खुद भगवान आत्मा बन सकता हूं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् को देखा नहीं है लेकिन फिर भी दुखों में याद आते हैं,इसका कारण– जिससे जितना पुराना और नजदीकी रिश्ता होता है वह उतना ही याद आता रहता है। भगवान् से हमारा जन्मांतरों का रिश्ता होता है और वे हमारे रग रग में बसे हैं, अतः मैं खुद भगवान आत्मा बन सकता हूं।