दृष्टि
वस्तु/व्यक्ति, “बाजा” है जो अच्छा या बुरा नहीं होता,
उससे निकली “ध्वनि” , दृष्टि है जो शुभ और अशुभ होती है ।
इसी बाजे से शादी की मंगल ध्वनि निकलती है और मृत्यु का शोक भी।
“मल” भी किसी का भोजन बन जाता है, तो बुरा कैसे ?
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी
One Response
A cycle of systems of nature,
what is important is where we are placed in the cycle
& what is our Form,
& if we have been placed as Human beings
then what are the ‘thoughts’ we are living with.
HariBol.