देवालय

जिस देह में समृद्ध आत्मा हो, उस देह को देवालय कहा है, दिवालिया देह को नहीं ।
आत्मा का दर्शन करना है तो दर्पण पर से धूल हटानी होगी, तभी वास्तविक स्वरूप दिख पायेगा ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Share this on...

One Response

  1. उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है। अपने अन्दर का देवालय तभी सार्थक होगा जब अपनी जो बुराईयों भरी हुई हैं उनको निकालने के बाद ही अपनी आत्मा की पहिचान कर सकते हैं। शीशा को साफ करने पर ही सही प़तिबिम्ब दिखाई देता है। अतः अपने देवालय को स्थापित करने के लिए सभी बुराइयों को दूर करने के लिए धम॓ से जुडकर ही किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 27, 2018

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30