जीवन मनुष्य में दोषों का भंडार भरा हुआ रहता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि दोष जो स्वभाव को परिवर्तित कर देते हैं जैसे शराब आदि, उसे ही दोष कहते हैं। Reply
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जीवन मनुष्य में दोषों का भंडार भरा हुआ रहता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि दोष जो स्वभाव को परिवर्तित कर देते हैं जैसे शराब आदि, उसे ही दोष कहते हैं।