द़व्य –गुण और पर्याय के समूह को द़व्य कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और धौव्य से युक्त है उसे द़व्य कहते हैं। यह छह प़कार हैं, जीव,पुदगल, धर्म,अर्धम, आकाश और काल। पुदगल –जो पूरण और गलन स्वभाव वाला होता है अथवा जिसमें रुप रस,गंध,स्पर्श ये चार पाए जाते हैं उसे पुदगल कहते हैं। पुदगल के निमित्त से जीव के शरीर आदि की संरचना होती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि पुदगल के अलावा पांचों द़व्य अखंड होते हैं।
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द़व्य –गुण और पर्याय के समूह को द़व्य कहते हैं या जो उत्पाद व्यय और धौव्य से युक्त है उसे द़व्य कहते हैं। यह छह प़कार हैं, जीव,पुदगल, धर्म,अर्धम, आकाश और काल। पुदगल –जो पूरण और गलन स्वभाव वाला होता है अथवा जिसमें रुप रस,गंध,स्पर्श ये चार पाए जाते हैं उसे पुदगल कहते हैं। पुदगल के निमित्त से जीव के शरीर आदि की संरचना होती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि पुदगल के अलावा पांचों द़व्य अखंड होते हैं।