पुरानी कहावत है – “…….. चरित्र गया सब कुछ गया”,
उल्टी इसलिये हो गयी क्योंकि हमने चरित्र के स्थान पर धन को ही सब कुछ माना लिया है ।
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यह कहावत सत्य है कि धन जाने पर कुछ नहीं बिगड़ता है बल्कि जीवन में चारित्र नहीं है तो जीवन व्यर्थ है।आजकल ज्यादातर लोग धन को महत्व देने लगे हैं और चारित्र की तरफ ध्यान नहीं रहता है।धन नश्वर है जिससे जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।जीवन के कल्याण के लिए चारित्र होना परम आवश्यक है ,जिसके कारण वर्तमान भव अच्छा रहेगा और अगले भव में भी उद्वार का कारण रह सकता है।
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यह कहावत सत्य है कि धन जाने पर कुछ नहीं बिगड़ता है बल्कि जीवन में चारित्र नहीं है तो जीवन व्यर्थ है।आजकल ज्यादातर लोग धन को महत्व देने लगे हैं और चारित्र की तरफ ध्यान नहीं रहता है।धन नश्वर है जिससे जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है।जीवन के कल्याण के लिए चारित्र होना परम आवश्यक है ,जिसके कारण वर्तमान भव अच्छा रहेगा और अगले भव में भी उद्वार का कारण रह सकता है।