धर्म

अधर्म से बचना ही धर्म है ।

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  1. बहुत सुंदर कथन है कि, “अधर्म से बचना ही धर्म है” ।धर्म से जुडकर रहोगे, तो आपकी बुराईयों एवम् दुःखों से मुक्ति, अवश्य मिलेगी ।इसके साथ भावों में पवित्रता भी आ जावेगी ।धर्म में श्रद्धा एवम् भावना रखते हुए, चारित्र का प्रयास करने से ही, आपका भविष्य कल्याणमय रहेगा ।

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