धर्मध्यान और कर्म-क्षय

तीर्थंकरों के भी कितने कर्म आत्मा से चिपके रहते हैं कि उनका क्षय करने के लिये आदिनाथ भगवान को 1000 वर्ष धर्मध्यान करना पड़ा !
इससे धर्मध्यान का महत्व भी समझ आता है ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. धर्मध्यान का आशय पंचमरमेष्ठी की भक्ति, स्वाध्याय,तत्व चिंतन, रत्नत्रय व संयम आदि में मन लगाना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि धर्मध्यान से कर्मों का क्षय होने के लिए तीर्थंकरों के भी कितने कर्म आत्मा में चिपके रहते हैं कि उनके क्षय के लिए श्री आदिनाथ भगवान को एक हजार वर्ष धर्मध्यान करना पड़ा था। अतः इससे ही धर्मध्यान का महत्व समझ में आता है।

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