जो मरण से पहले छोड़े वह धर्मात्मा,
कर्मात्मा मरण के बाद छोड़ता है (अंत तक कर्म में ही लगा रहता है)
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मनुष्य जीवन में कर्म करते हैं वह मरण के बाद उनकी आत्मा के साथ जाते हैं जिसका परिणाम भव भव में भुगतना पड़ता है। धर्मात्मा वही होता है जो अपने जीवन में धर्म का यथायोग्य पालन करता है। जीवन में जो धर्म का पालन करते हैं वही धर्मात्मा कहलाता है। जीवन में अच्छे बुरे कर्म करता है उसको कर्मात्मा कहते हैं।
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मनुष्य जीवन में कर्म करते हैं वह मरण के बाद उनकी आत्मा के साथ जाते हैं जिसका परिणाम भव भव में भुगतना पड़ता है। धर्मात्मा वही होता है जो अपने जीवन में धर्म का यथायोग्य पालन करता है। जीवन में जो धर्म का पालन करते हैं वही धर्मात्मा कहलाता है। जीवन में अच्छे बुरे कर्म करता है उसको कर्मात्मा कहते हैं।