दिन की शुरूआत मंदिर से करने वाले प्राय: अपना ईमान मंदिर में ही छोड़ जाते हैं ।
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धार्मिक क़ियायें करने पर अपना ईमान वहीं छोड़ देते हैं जबकि उन क़ियायों के करने पर ईमान हमेशा रखना चाहिए, तभी कल्याण होगा। आजकल ज्यादातर लोग मन्दिर तक ही सीमित रखते हैं जब की उनको हमेशा के लिए ईमान रखना चाहिए। मन्दिर जाने का मतलब यही है कि अपने जीवन में गुणों का भंडार लाना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।
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धार्मिक क़ियायें करने पर अपना ईमान वहीं छोड़ देते हैं जबकि उन क़ियायों के करने पर ईमान हमेशा रखना चाहिए, तभी कल्याण होगा। आजकल ज्यादातर लोग मन्दिर तक ही सीमित रखते हैं जब की उनको हमेशा के लिए ईमान रखना चाहिए। मन्दिर जाने का मतलब यही है कि अपने जीवन में गुणों का भंडार लाना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।