वीतरागी के ध्यान से राग समाप्त होता है ।
पंचपरमेष्ठियों के ध्यान से पंचेन्द्रिय-विषयों पर काबू होता है ।
कौन क्या कर रहा है इस पर ध्यान नहीं, भगवान क्या कर रहे हैं इस पर ध्यान देना चाहिये ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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ध्यान का तात्पर्य चित्त की एकाग्रता होना होता है। ध्यान चार प्रकार के होते हैं। इसमें शुक्ल एवं धर्म ध्यान मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करता है। उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः वीतरागी के ध्यान से राग समाप्त होता है।
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ध्यान का तात्पर्य चित्त की एकाग्रता होना होता है। ध्यान चार प्रकार के होते हैं। इसमें शुक्ल एवं धर्म ध्यान मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करता है। उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः वीतरागी के ध्यान से राग समाप्त होता है।