नरकों में सम्यग्दर्शन का एक विशेष कारण – “पीड़ा वेदन” भी है । पर पीड़ा वेदन तो मनुष्य/तिर्यंचों को भी होता है, हमारे लिये यह कारण क्यों नहीं ?
नारकी अवधिज्ञान से उस वेदना का कारण भी जानते हैं, सो पश्चाताप करते हैं; जो सम्यग्दर्शन का निमित्त बन जाता है ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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सम्यग्दर्शन का मतलब भगवान् पर श्रद्वान रखना एवं सात तत्वों पर श्रद्वान एवं भेद विज्ञान पर आस्था होना। उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है कि नरकों में भी सम्यग्दर्शन हो सकता है।
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सम्यग्दर्शन का मतलब भगवान् पर श्रद्वान रखना एवं सात तत्वों पर श्रद्वान एवं भेद विज्ञान पर आस्था होना। उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है कि नरकों में भी सम्यग्दर्शन हो सकता है।