एक से तीन इंद्रिय वालों की निद्रा पकड़ में नहीं आती है ।
जैसे जैसे इंद्रियाँ बढ़ती जाती हैं, शारीरिक/मानसिक थकान/निद्रा भी बढ़ती जाती है, जैसे कीड़े दिन/रात काम करते दिखते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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निद़ा प़त्येक प़ाणी के लिए आवश्यक है लेकिन एक से तीन इन्द़िय तक निद़ा पकड में नही आती है लेकिन आगे इन्दिय बढने के कारण, शरीरिक, मानसिक और थकान/निद़ा बढती जाती है।
जीवन में पुण्य के उदय से पंच इन्द़िय प़ाप्त होती है जो निद़ा का भरपूर लाभ मिल सकता है।
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निद़ा प़त्येक प़ाणी के लिए आवश्यक है लेकिन एक से तीन इन्द़िय तक निद़ा पकड में नही आती है लेकिन आगे इन्दिय बढने के कारण, शरीरिक, मानसिक और थकान/निद़ा बढती जाती है।
जीवन में पुण्य के उदय से पंच इन्द़िय प़ाप्त होती है जो निद़ा का भरपूर लाभ मिल सकता है।